Milk price hike : टमाटर के बाद अब बढ़ रहे हैं दूध के दाम, लोगों को लगने वाला है बड़ा झटका, इतने रुपए प्रति लीटर हो सकता है

Milk price- बढ़ती हुई महंगाई को देखते हुए अभी हाल ही में आपने देखा कि टमाटर के भाव आसमान छू रहे थे. इसी बीच अभी कुछ सूत्रों के जानकारी के अनुसार खबर आ रही है कि आम आदमी को अब और भी बड़ा झटका दूध को लेकर लग सकता है. सरकार ने सभी देरी उत्पादों की कीमत बढ़ने का निर्णय लिया है। इस मुद्दे में कितनी सच्चाई है आईए जानते हैं।
शुरुआत में आप सभी ने देखा होगा कि टमाटर की बढ़ती कीमतों की वजह से सभी लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा। यहां पर कई सब्जी जैसे शिमला मिर्च प्याज और भी अन्य कई जरूरी सब्जियों की कीमत भी आसमान छू रही है. इसी बीच आम आदमी को किराना से जुड़े हुए सामानों की कीमत बढ़ाने के लिए भी एक चिंता का विषय बनती जा रही है। लोगों की इन परेशानियों को दूर करने के लिए ही सरकार समय-समय पर कई तरह के कदम उठाती रहती है. और उसी तरह से अभी ऐसा ही निर्णय लिया गया है। प्याज की बढ़ती कीमत को नियंत्रण में रखते हुए प्याज का स्टॉक अब लोगों के लिए खोल दिया है. ताकि लोगों को इसकी बढ़ती महंगाई का सामना न करना पड़े।
डेयरी उत्पाद
यहां बात इतने में ही खत्म नहीं होने वाली क्योंकि केवल फल और सब्जियां ही इस महंगाई की मार को नहीं झेल रहे है। डेरी उत्पादक कि अगर बात करें तो वह भी दिन प्रतिदिन महंगे ही होते जा रहे हैं. यहां सबसे ज्यादा बढ़ती हुई कीमत दूध की हो रही है. दूध का सीधा असर दही मक्खन क्रीम और कई तरह के देरी उत्पादक कन्फेक्शनरी में भी पड रहा है. आपने देखा ही है कि पिछले 1 साल से दूध कितना महंगा हो गया है. जिसकी वजह से डेरी प्रोडक्ट की कीमत भी बढ़ गई है.
दूध की कीमत में वृद्धि
पिछले साल जून के महीना में दूध की कीमत फुल क्रीम और टोंड की इस महीने की तुलना में 9 से 10% की बढ़ गई है. जून 2023 में टोंड दूध 51 रुपए लीटर था. लेकिन 2022 में वही तोंद दूर 47 रुपए प्रति लीटर के हिसाब से मिल रहा था. इस तरह से देखा जाए तो 8.86% की वृद्धि टोंड दूध में देखी गई है. वही फुल क्रीम दूध की अगर बात करें तो जून 2023 में फुल क्रीम दूध 64 रुपए प्रति लीटर हो गया है. पिछले साल इसकी कीमत 58 रुपए लीटर थी. इस तरह से 9.86% की वृद्धि फुल क्रीम दूध में देखी गई है।
भारत सरकार के अधीन पशुपालन और डेयरी विभाग दूध की खरीद और बिक्री की कीमत को निर्णय नहीं करता है. इन सभी की कीमत सरकारी और निजी डायरी उत्पादक की लागत और मार्केट के अनुसार ही निर्धारित की जाती है. सरकार मुद्रा स्थिति के प्रभाव को कम करने के लिए कई तरह के प्रयास कर रही है. वहीं दूसरी तरफ देरी उत्पादक की बढ़ती हुई कीमत की वजह से आम आदमी को बहुत परेशानी हो रही है. इन दोनों ही समस्याओं से निकलने के लिए कोई सही निर्णय लेना आवश्यक हो गया है.