क्या विक्रम संवत के बारे में जानते हैं? क्या है विक्रम संवत का पूरा इतिहास, जानिए

विक्रम संवत हमारे सनातन धर्म में आने वाला हिंदू वर्ष होता है। विक्रम संवत की शुरुआत 57 ईसा पूर्व से हुई थी। सन 2017 में विक्रम संवत 2073 चल रहा था। आज आपको मार्केट में कई तरह के विक्रम संवत वाले कैलेंडर देखने को मिलेगी। ज्योतिष के अनुसार भी विक्रम संवत वाले कैलेंडर ज्यादा सही होते हैं। विक्रम संवत को शुरू होने के लिए महाराज विक्रमादित्य की एक बहुत बड़ी कहानी है।
राजा विक्रमादित्य का शासन संपूर्ण भारत वंश के राज्य में एक बहुत बड़ी मिसाल है। राजा विक्रमादित्य ने कभी शक राजाओं को खदेड़ कर यहां से भगा दिया था। विक्रमादित्य का शासन उज्जैन से शुरू हुआ।
उज्जैन में हिंदुत्व का उन दिनों बड़ा बोलबाला रहा था। जब राजा विक्रमादित्य ने सभी शको खदेड़ कर बाहर निकाल दिया था तो महाराज विक्रमादित्य को शकारी की उपाधि से सम्मानित किया गया था। इस घटना के साथ ही विक्रम संवत की शुरुआत हो गई थी।
विक्रम संवत का इतिहास
राजा विक्रमादित्य ने इस भारत की भूमि पर से सभी शक राजाओं को युद्ध में पराजित करके बाहर निकाल दिया था। इस बात के लिए इनको शकारी की उपाधि से भी सम्मानित किया गया था। और उसी समय से विक्रम संवत की शुरुआत 57 ईसा पूर्व से राजा विक्रमादित्य के नाम से शुरु हो गई थी।
विक्रम संवत का इतिहास 9 वी सदी के पहले इतिहास में तो देखने को नहीं मिलता है। शुरुआत के स्रोतों में इस काल का वर्णन और भी दूसरे नामों से जाना जाता है।सबसे पहले विक्रम संवत की शुरुआत सन 842 के आसपास देखने को मिली थी। इस उपाधि का पहला प्रयोग चौहान वंश के राजा के पास में मिलता है।
इनके राज्य से मिले हुए उल्लेख में विक्रम संवत 898 वैशाख शुक्ल लिखें होने का प्रमाण मिला है। यह एक दिनांक के रूप में लिखा गया है। जिसमें विक्रम संवत शब्द का भी प्रयोग किया गया है।इसी तरह से अलग-अलग विविधताओं से अलग-अलग लेखक और अलग-अलग इतिहासकारों की विक्रम संवत को लेकर अलग-अलग तरह की अवधारणाएं सुनने को और देखने को मिलती है।
कई इतिहासकार तो मानते हैं कि विक्रम संवत का राजा विक्रमादित्य से कोई किसी तरह का संबंध नहीं है। वही कुछ इतिहासकार मानते हैं कि राजा चंद्रगुप्त द्वितीय ने विक्रमादित्य की उपाधि को धारण कर लिया था और उन्होंने अपने शासनकाल को विक्रम संवत के नाम से घोषित कर दिया था।