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आपने पहली बार वट सावित्री का व्रत रखा है! व्रत के नियम मालूम है, अगर नहीं तो जान लीजिए

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आपने पहली बार वट सावित्री का व्रत रखा है!  व्रत के नियम मालूम है, अगर नहीं तो जान लीजिए

वट सावित्री का व्रत जेस्ट महीने की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि के दिन सभी सुहागन महिलाएं रखती हैं। इन सभी सुहागने बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं।‌ ऐसी मान्यता है कि वट सावित्री के व्रत के दिन सभी महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए प्रार्थना करती है। और अखंड सौभाग्य के लिए वरदान प्राप्त करती है। 

धार्मिक मान्यता के अनुसार जेस्ट महीने की अमावस्या तिथि के दिन सावित्री ने अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से वापस लिए थे। इसी के लिए हर साल वट सावित्री का व्रत किया जाता है। शादी के बाद अगर आपका यह पहला बट सावित्री का व्रत है तो इसके लिए आपको कुछ विशेष जानकारी पता होनी चाहिए। आप पहली बार जब व्रत कर रहे हैं तो इसके लिए आपको कुछ जरूरी नियमों का पालन करना भी बहुत ज्यादा जरूरी है। तभी आपका वट सावित्री का व्रत सफल होगा।

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वट सावित्री के नियम

वट वृक्ष की पूजा करनी होगी । आपकी अभी नई-नई शादी हुई है और आप पहली बार इस व्रत को करती है तो आपको सबसे पहले इस व्रत के सभी जरूरी नियम और वट वृक्ष की पूजा करने की सभी महत्वपूर्ण सामग्रियों के बारे में जानकारी पता होनी चाहिए तभी जाकर आप इस व्रत को कर पाएंगे बट सावित्री व्रत के लिए आपको कलावा, सिंदूर , बांस का पंखा, धूप दीप घी, बरगद, मौसमी फल फूल, सुपारी, रोली, सवा मीटर लाल कपड़ा, नारियल आदि चीजों की आवश्यकता पड़ेगी।

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वट सावित्री व्रत करने की जरूरी नियम

वट सावित्री के व्रत के दिन सुबह उठकर आपको जल्दी स्नान करके लाल रंग की साड़ी पहननी है आप वट सावित्री व्रत वाले दिन काले सलेटी रंग के कपड़ों का प्रयोग ना करें।

वट सावित्री व्रत के दिन महिलाओं को पूरे सोलह सिंगार करने जरूरी है।

वट सावित्री व्रत में आपको एक टोकरी में पूजा की सभी सामग्री ले जाकर वटवृक्ष के पास जाएं और वहां पर पहले गंगाजल का छिड़काव करने के बाद में पूजा शुरू करें।

बट सावित्री व्रत में आपको वट सावित्री की फोटो भी होगी और उन पर रोली, मोली, पान सुपारी, फल-फूल आदि सामग्री चढानी होगी।

अब आपको सात परिक्रमा वटवृक्ष की करने के बाद में वटवृक्ष के कच्चा सूट लपेट कर वट वृक्ष के नीचे आपको बट सावित्री की कथा भी सुननी हैं।

पूजा करने के बाद में आपको वहां की सामग्रियों में से अनाज कपड़ा और पैसे किसी ब्राह्मण को दान देने के लिए वापस उठाकर दान दे दे। चने का बायना और कुछ पैसे सास को दे कर आशीर्वाद प्राप्त करें।

बट सावित्री व्रत का पारण आपको 11 भीगे हुए चने खाकर खोलना है इस तरह से बट सावित्री का विधि-विधान पूर्वक व्रत करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति मिलती है।