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भगवान शिव की आराधना कैसे की जाती है? जानिए पूरा पूजा विधि?

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भगवान शिव की आराधना कैसे की जाती है? जानिए पूरा पूजा विधि?

भगवान शिव को देवों के देव महादेव कहा जाता है हिंदू धर्म में 3 देवो में से एक देव भगवान शिव ही है। जिनके लोग पूजा आराधना करते हैं। भगवान शिव की भक्ति का अलग ही महत्व है। भगवान शिव को कई और भी नाम से पुकारते हैं और सभी लोग अलग-अलग तरीके से पूजा पाठ करते हैं। 

भगवान शिव भी अपने सभी भक्तों को अलग-अलग रूप में दर्शन देते हैं। भगवान शिव का एक नाम नहीं बल्कि उनके अलग-अलग नाम है और उनके सभी नामों का अलग ही महत्व है। भगवान शिव की पूजा शिवलिंग के रूप में की जाती है। अब हम यहां जानेंगे कि भगवान शिव की आराधना कैसे की जाती है, उनकी भक्ति कैसे करें जिससे भगवान शिव प्रसन्न हो?

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भगवान शिव की भक्ति कैसे करें

भगवान शिव की आराधना बड़े सरल भाव से की जाती है भगवान शिव को भोले नाथ कहा जाता है। इसीलिए वह इतने सहज हैं कि उनको कोई भी व्यक्ति अपनी पूजा पाठ से प्रसन्न कर सकता है और वह जल्दी से प्रसन्न हो जाते हैं।

सबकी मनोवांछित इच्छाएं पूरी करते हैं। हमारे पुराणों में तो उनका बड़ा उल्लेख मिलता है। भगवान शिव को अभिषेक बहुत पसंद है। जो भक्त उनकी पूजा आराधना के साथ अभिषेक भी करता है तो भगवान उस से अति प्रसन्न हो जाते हैं।

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 भगवान शिव के अभिषेक में दूध, दही, शहद, चीनी, जल आदि का पंचामृत तैयार करके अभिषेक किया जाता है। भगवान शिव को रुद्राष्टक का पाठ अति प्रिय है। भगवान शिव का अभिषेक करते समय रूद्रम, चमकम, दशा शांति वाले मंत्र का पाठ पढ़ा जाता है। जिससे भगवान शिव अति प्रसन्न होते हैं।

 भगवान शिव की आराधना करने के लिए सोमवार का दिन व त्रयोदशी तिथि अति प्रिय होती है। भगवान शिव को पूजने के लिए लोग सबसे अधिक श्रावण मास में पूजा आराधना करते हैं। ऐसा माना जाता है कि श्रावण मास के महीने में पूजा आराधना करने से आशीर्वाद मिलता है। भगवान शिव पर गंगाजल चढ़ाने का भी बड़ा महत्व माना जाता है।

भगवान शिव की पूजा करने के लिए ऐसा भी माना जाता है। कि अगर अपने घरों में नर्वदेश्वर शिवलिंग रखकर पूजा करते हैं तो शिव की कृपा बनी रहती है। भगवान शिव की आराधना करने के लिए लोग रुद्राक्ष की माला को धारण करते हैं। जिससे नेगेटिविटी से बचा जाता है।

भगवान शिव की भक्ति से होने वाले लाभ

भगवान शिव की भक्ति अगर कोई भी पति पत्नी सोमवार के दिन मिलकर करते हैं तो कहते हैं भगवान शिव की कृपा उन पर सदैव बनी रहती है।

भगवान शिव की पूजा आराधना करने के लिए शाम का समय ज्यादा शुभ होता है कहते हैं भगवान शिव की प्रदोष काल के समय पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है।

भगवान शिव की पूजा कब करें

भगवान शिव की आराधना करने का वैसे कोई समय निश्चित नहीं होता है। ऐसी मान्यता है कि श्रावण के महीने में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए लोग अलग-अलग तरह से उनकी भक्ति पूजा-पाठ करते हैं। भगवान शिव की पूजा पाठ करने के लिए सोमवार का दिन सही होता है। लोग श्रावण महीने के सोमवार के दिन बहुत श्रद्धा लगन भाव से पूजा करते हैं। और उनकी आराधना करने के लिए रुद्राष्टक अति रूद्र लघु रूद्र इनका पाठ भी करते हैं। 

भगवान शिव की पूजा करने के लिए शाम का समय अति श्रेष्ठ माना गया है। भगवान शिव की पूजा केवल भाव और सच्चे मन से की जाती है। भगवान को प्रसन्न करने के लिए वैसे कोई दिन समय वार तिथि निश्चित नहीं है। आप जब मर्जी भगवान को प्रसन्न करने के लिए अपनी भक्ति भाव से पूजा कर सकते हैं। भगवान शिव की पूजा त्रयोदशी प्रदोष शिवरात्रि सोमवार अष्टमी तिथि इन पर करना बहुत ज्यादा श्रेष्ठ फलदायक होता है।

भगवान शिव की पूजा करने के नियम

भगवान शिव की पूजा करने के लिए जब आप शिवलिंग बनाते हैं तो उसको किसी कासते की धातु में नहीं रखना चाहिए शिव का अभिषेक करने के लिए नाखून का स्पर्श करना शुभ होता है।

भगवान शिव के पूजन में कनेर का फूल नहीं होना चाहिए।

शिव की पूजा में कोई भी चीज टूटी फूटी ना चढ़ाने चाहिए तीन बेलपत्र वाली बेलपत्र की पत्ती भी खंडित नहीं होने चाहिए।

भगवान शिव को टूटा हुआ नारियल कभी भी ना चढ़ाएं

भगवान शिव को तुलसा जी के पत्ते कभी नहीं समर्पित करने चाहिए। भगवान शिव को तुलसा जी के पत्ते केवल कार्तिक मास की चतुर्दशी तिथि को ही समर्पित किए जाते हैं।

शिव को लाल चंदन अति प्रिय है इसीलिए कभी भी कुमकुम और हल्दी का तिलक शिवजी पर नहीं लगाना चाहिए।

भगवान शिव की पूजा अभिषेक करने के बाद उनके जल का विसर्जन न कीजिए समुद्र आदि में कर देना चाहिए और अगर आपके घर के आसपास बगीचे में कोई पेड़ पौधा है तो उसमें आप इस जल को विसर्जित कर सकते हैं। याद रहे कि आपको शिवजी पर चढ़े हुए जल को पीपल और तुलसा जी में नहीं चढ़ाना है।

भगवान शिव के अभिषेक के लिए कभी भी स्टील के बर्तन का प्रयोग ना करें। भगवान शिव की अभिषेक सामग्री में तुलसा जी भी नहीं डालनी चाहिए।