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कालाष्टमी काल भैरव 2023 :  जानिए शुभ, मुहूर्त पूजा तिथि महत्व

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कालाष्टमी काल भैरव 2023 :  जानिए शुभ, मुहूर्त पूजा तिथि महत्व

कालाष्टमी के दिन भगवान भैरव देव का जन्म हुआ था इसीलिए कालाष्टमी का बहुत महत्व है। कालाष्टमी को काल भैरव जयंती काल अष्टमी कहा जाता है। भैरव देवता भगवान शिव का ही प्रतिरूप है। लेकिन वह शिव का बहुत प्रचंड रूप होता है। कालाष्टमी को कई अन्य नामों से जाना जाता है। यह काल भैरव के जन्मदिन के उपलक्ष में मनाई जाती है। भगवान शिव का डरावना और प्रकोप व्यक्त करने वाला रूप होता है। एक तरह से देखा जाए तो भगवान शिव का ही रूप इनको माना गया है। आइए जानते हैं 2023 में कालाष्टमी में जयंती कब मनाई जाएगी।

कालाष्टमी काल भैरव जयंती 2023

कालाष्टमी हमेशा कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाई जाती है हर महीने का लास्ट में का महत्व हमारे शास्त्रों में बहुत बोलने वाला बताया है कार्तिक के महीने में डालते हुए चांद के पखवाड़े के आठवें दिन चंद्र पर इसका असर पड़ता है यानी कि कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन कालाष्टमी पर्व मनाने का विशेष रूप से महत्व माना गया है

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कालाष्टमी काल भैरव जयंती कब है

कालाष्टमी मनाने का दिन नवंबर दिसंबर के महीने में एक ही बार आता है उसको काल भैरव जयंती कहा जाता है इस साल 2023 में काल भैरव जयंती 5 दिसंबर को मनाई जाएगी काल भैरव जयंती पापियों को दंड देने के लिए मनाई जाती है इसलिए इसको भैरव दंड दाहिनी भी कहते हैं मान्यताओं के अनुसार काले कुत्ते को भैरव बाबा का प्रतीक माना जाता है क्योंकि कुत्ता भैरव देवता की सवारी होता है देवताओं और इंसानों में जो पापी रहता है उस को दंड देने का काम करता है काल भैरव हाथों में डंडा लिए होते हैं और सभी पापियों को दंड भी देते हैं।

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काल भैरव का महत्व

कल अष्टमी के दिन व्यक्ति को भगवान काल भैरव की विधिवत तरीके से पूजा-अर्चना करनी चाहिए इसके अलावा भगवान शिव और पार्वती की पूजा से भी शुभ फल की प्राप्ति होती है ऐसी मान्यता है कि काल भैरव की उपासना करने से और व्रत करने से भक्तों के सभी तरह के रोग तनाव मुक्त हो जाते हैं इसके अलावा काल भैरव से आशीर्वाद भी मिल जाता है साथ में आपसी विवाद न्यायिक मामलों में भी सफलता मिल जाती है।

काल भैरव की पूजा कैसे करें

काल भैरव की पूजा हमेशा रात के समय में की जाती है पूरी रात भगवान शिव पार्वती काल भैरव की पूजा की जाती है

भैरव बाबा को तांत्रिकों का बड़ा देव भी कहा जाता है इसी वजह से काल भैरव की पूजा रात में होती है।

दूसरे दिन जल्दी उठकर किसी पवित्र जलाशय नदी में नहा कर श्रद्धा के अनुसार इसका तर्पण किया जाता है और भगवान शिव के भैरव के रूप में राख चढ़ाते हैं।

कल अष्टमी के दिन काले कुत्ते की भी पूजा होती है और उसको घर की बनाई हुई सभी चीजें दी जाती है कल अष्टमी के दिन पूजा करने से किसी चीज का जीवन में कभी कोई ध्यान नहीं होता है हमेशा व्यक्ति के जीवन में खुशहाली बनी रहती है।