जाने ट्रेन का माइलेज, 1 किलोमीटर पर इतना खाती है तेल

ट्रेन का सफर बहुत ज्यादा खूबसूरत होता है और साथ ही अगर कहीं यात्रा के लिए जाना हो तो दूरी के सफर के लिए ट्रेन सबसे अच्छा विकल्प माना जाता है. से पहले भाप से चलने वाले इंजन चला करते थे का आविष्कार जेम्स वाट द्वारा किया गया था बाद में डीजल से चलने वाली ट्रेन का आविष्कार भी किया गया. लेकिन आजकल तो इलेक्ट्रिसिटी से चलने वाली ट्रेन भी पटरी पर खूब जोर से दौड़ती है.
क्या आपको पता है भारतीय रेल में जितनी भी ट्रेन डीजल से चलती हैं उनमें लगभग 5000 लीटर से लेकर 6000 लीटर तक डीजल भरा जाता है. एक ट्रेन की कितनी माइलेज होती है उसी के हिसाब से उस की टंकियों का विभाजन भी किया जाता है जैसे:-
- 5000 लीटर
- 5500 लीटर
- 6000 लीटर
एक्सप्रेस ट्रेन तथा पैसेंजर ट्रेन हे माइलेज में क्या अंतर होता है?
एक पैसेंजर ट्रेन 12 डिब्बों को मिलाकर बनती है जब वह 1 किलोमीटर चलती है तो 6 लीटर तेल की खपत होती है. वहीं दूसरी तरफ एक्सप्रेस ट्रेन जिसमें 24 डिब्बे लगे होते हैं जब वह 1 किलोमीटर चलती है तो 6 लीटर तेल कंज्यूम करती है. अगर एक्सप्रेस ट्रेन में मात्र 12 डिब्बे हो तब वह 1 किलोमीटर में 4.5 लीटर तेल कंज्यूम करती है.
एक्सप्रेस ट्रेन और पैसेंजर ट्रेन के माइलेज में इतना अंतर क्यों होता है?
दोस्तों आज आपको बताते हैं कि एक्सप्रेस ट्रेन और पैसेंजर ट्रेन के माइलेज के बीच इतना ज्यादा अंतर क्यों होता है दरअसल पैसेंजर ट्रेन का स्टाफ बहुत ज्यादा होता है और स्टाफ ज्यादा होने की वजह से ट्रेन को जगह जगह पर रुकना पड़ता है. हर स्टेशन पर रुकती हुई चलने वाली पैसेंजर ट्रेन में ब्रेक और एक्सीलेटर का उपयोग बहुत ज्यादा मात्रा में होता है इसी वजह से इंधन की खपत भी अधिक मात्रा में होती है.
वहीं दूसरी तरफ एक्सप्रेस ट्रेन मैं भले ही स्टाफ ज्यादा हो लेकिन एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन तक की दूरी बहुत ज्यादा होती है जिसकी वजह से एक्सीलेटर और ब्रेक का उपयोग कम होता है इसीलिए एक एक्सप्रेस ट्रेन में इंधन की खपत कम मात्रा में होती है.
पैसेंजर और एक्सप्रेस ट्रेन में डीजल की खपत में अंतर का यही मुख्य कारण होता है.