अब मकान मालिक से कभी परेशान नहीं होगा किराएदार, कानून ने किराएदार को दिए हैं ये 6 अधिकार

अक्सर यह देखा जाता है कि मकान मालिक और किरायेदार में अनबन और लड़ाई झगड़े होते रहते हैं। तो इन्ही वाद विवाद, लड़ाई झगड़े को रोकने के लिए सरकार ने कुछ टेनेंसी एक्ट बनाए हैं। किरायेदारों के पास भी कुछ अधिकार होते हैं जिनके बारे में आज हम चर्चा करेंगे। तो चलिए जानते हैं कि क्या कहते हैं ये नियम।
भारतीय संविधान के अनुसार हर एक व्यक्ति के पास समान अधिकार है। हर किसी को मान सम्मान और न्यायपूर्ण जीवन जीने का हक है। हालांकि, कई बार लोगों को जानकारी के अभाव में न्याय से वंचित रहना पड़ता है।
भारत के हर राज्य में किराएदारी का अपना-अपना लोकल लॉ यानी कि कानून बना होता है। जैसे कि राजस्थान में राजस्थान टेनेंसी एक्ट 1955 बना हुआ है। इसी तरह सभी राज्य में अलग-अलग एक्ट बना होता है लेकिन सभी के प्रावधान करीब-करीब एक जैसे ही होते हैं। आज हम आपको पांच ऐसे अधिकार बताने वाले हैं जो किरायेदारों को भी नहीं पता होते।
1. संपत्ति मालिक सदभावी आवश्यकता के कारण दुकान या मकान खाली करवा लेता है, तो 1 साल तक उसी दुकान या मकान को किराए पर नहीं दे सकता। यदि वह ऐसा करता है तो किराएदार का वापस कब्जा प्राप्ति का अधिकार होता है।
2. संपत्ति मालिक किराएदार को मूलभूत सुख सुविधाएं उपलब्ध करवाने की जिम्मेदारी रखता है जैसे बिजली पानी लाइट इत्यादि।
3. संपत्ति मालिक ने बिना सहमति या धोखे में रखकर किराएदार से परिसर खाली करवा लिया है, तब किराएदार आपराधिक मामला दर्ज करवा सकता है और 30 दिनों के अंदर अंदर न्यायालय की शरण लेकर वापस कब्जा प्राप्त कर सकता है।
4. किरायेसुदा संपत्ति का 4 महीने का किराया बकाया होने से पहले, डिफॉल्ट के आधार पर, किराया वसूलने के लिए संपत्ति मालिक द्वारा नोटिस भेजना जरूरी है। यदि नोटिस प्राप्ति के 30 दिन के अंदर-अंदर, किराएदार बकाया किराया राशि चुकता कर देता है, तो वह उस संपत्ति पर बना रह सकता है और संपत्ति खाली नहीं करवाई जा सकती है।
5. संपत्ति मालिक से किरायेसुदा संपत्ति का हर महीने चुकता किए जाने वाले किराए राशि की रसीद प्राप्त करने का अधिकारी है। इसके लिए संपत्ति मालिक मना नहीं कर सकता है।
6. मकान मालिक किरायेदार से सिक्योरिटी मनी दो महीने के किराए से ज्यादा नही ले सकता। किराया बढ़ाने के लिए कम से कम तीन महीने पहले नोटिस देना होगा।