Supreme Court : प्रॉपर्टी का मालिकाना हक़ अब वसीयत या मुख्तारनामे से नहीं होगा साबित

अभी हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने प्रॉपर्टी को लेकर एक फैसला सुनाया है. कि केवल वसीयत या मुख्तारनामे के आधार पर आप प्रॉपर्टी के मालिक साबित नहीं हो सकते,आज हम इस लेख में आपको यही बात विस्तार से बताने जा रहे हैं। जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी या वसीयत को किसी भी संपत्ति में अधिकार जताने की मान्यता नहीं दी जा सकती है। केवल वसीयत या पावर ऑफ अटॉर्नी से हम प्रॉपर्टी के मालिक का पता नहीं कर सकते।जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस पंकज मिथल यह फैसला सुनाते हुए कहा। जीपीए या वसीयत के आधार पर संपत्ति का मालिक नहीं बन सकता।
आज के समय पर वसीयत के नाम पर संपत्ति हासिल करने वाले बहुत अधिक संख्या में लोग मिल जाते हैं। इसी बात पर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस कहते हैं कि यदि आप पावर ऑफ अटॉर्नी या वसीयत का दावा करते हैं तो उसके लिए सबूत भी दिखाएं।
कोर्ट के आधार पर फैसला
कोर्ट का कहना यह था, कि वसीयतनामा बनाते समय वसीयत लिखने वाले व्यक्ति को लकवा मार चुका था। उसका दाहिना हाथ तथा पैर दोनों ही काम नहीं कर रहे थे वसीयतनामा बनाते समय उस व्यक्ति ने कंपन के साथ हस्ताक्षर किए थे क्योंकि उसकी नॉर्मल हैंडराइटिंग से बिल्कुल ही अलग थे। इसी प्रकार जिन दो गवाहों ने वसीयतनामा पर हस्ताक्षर किए थे वह भी उन लोगों के लिए अनजान थे।वसीयतकर्ता ने अपनी पूरी बातें भी वसीयत में नहीं लिखी थी। वसीयत में यह भी स्पष्ट नहीं था,कि बेटियों को उसमें से क्यों बेदखल कर दिया गया।
बेटियों ने क्या कहा
बेटियों का कहना यह था,कि वसीयत फर्जी है। बेटियों के पिता ईएस पिल्लै की मृत्यु 1978 में हो गई थी. अपने पीछे उनके पिता वसीयत छोड़ गए थें। जिस वसीयत को दो अनजान लोगों के सामने बनाया गया । बेटियों के अनुसार वसीयतकर्ता के तीन बच्चे थे, जिसमें से एक बेटा तथा 2 बेटियां थी. वसीयत कर्ता के बेटे की मृत्यु 1989 में हो गई। वह अपने पीछे अपनी पत्नी तथा दो बच्चों को छोड़ गया। पिता की मृत्यु के बाद बेटियों ने संपत्ति का मुकदमा दायर किया। जिसके कारण भाभी ने भी संपत्ति के लिए जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी प्रदान करने की अपील की, बेटियों के अनुसार पिता को लकवा मारने के बाद वह बिस्तर से नहीं उठ पाते थे।जिस कारण वह वसीयत नहीं बना सकते, उनके अनुसार यह वसीयत फर्जी है।