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गंगा दशहरा पर्व 2023 कब है…! जानिए इसका महत्व?

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गंगा दशहरा पर्व 2023 कब है…! जानिए इसका महत्व?

गंगा दशहरा पर्व हमारे देश में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। गंगा नदी को देश की सबसे पवित्र नदियों के रूप में जानते हैं और इसकी पूजा आराधना करने से और इस नदी में स्नान करने से आदमी के सारे पाप धुल जाते हैं। बहती हुई गंगा का "धरती पर हुआ था यानी जिस दिन वह धरती पर प्रकट हुई थी। उस दिन को गंगा दशहरे के रूप में मनाते हैं।

 गंगा दशहरा हिंदी महीनों के अनुसार ज्येष्ठ महीने की दशमी तिथि को आता है। गंगा दशहरे के दिन भारी संख्या में लोग गंगा नदी के किनारे पूजा अर्चना करने और स्नान करने के लिए पहुंचते हैं। भारत के ही नहीं बल्कि विदेश के भी लोग गंगा दशहरे के दिन पूजा-अर्चना करने के लिए आते हैं।

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गंगा दशहरे के पर्व का बहुत बड़ा पुण्य माना गया है। गंगा दशहरे पर दान पुण्य का भी बड़ा महत्व माना गया है। आइए गंगा दशहरा 2023 में कब है और इसका क्या महत्व है। गंगा दशहरा की पूजा क्यों की जाती है। इन सभी की जानकारी आपको यहां पढ़ने को मिलेगी।

गंगा दशहरा 2023 कब है?

गंगा दशहरा मुख्य रूप से ज्येष्ठ के महीने में दशमी तिथि को मनाया जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार माने तो जेष्ठ का महीना मई और जून के बीच में आता है। इस दिन को गंगा दशहरे के नाम से भी जाना जाता है। इसके अलावा गंगा अवतरण का दिन भी इसको कहते हैं। इस साल 2023 में गंगा दशहरा 29 मई को मनाया जाने वाला है।

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गंगा नदी का इतिहास

रघुवंश के राजा सगर के 2 रानी थी जिनमें से एक रानी को 60000 पुत्र थे। दूसरी रानी को केवल एक ही पुत्र था। राजा सगर ने अपने राज्य विस्तार के लिए एक बड़े यज्ञ का आयोजन किया। उसी यज्ञ के लिए एक अश्वमेध घोड़े को छोड़ा गया। लेकिन वह घोड़ा वापस नहीं आया, इसलिए राजा सगर के सभी पुत्र उसको ढूंढने के लिए निकल पड़े। जब पूरी पृथ्वी पर अश्वमेध घोड़ा नहीं मिला तो अंत में वह पाताल लोक में गए।

यहां पर कपिल मुनि अपनी समाधि में लीन थे। उन्होंने समाधि को भी तोड़ दिया। जिससे राजा सगर के साठ हजार पुत्रों मर गए। इस पर राजा सगर बहुत दुखी थे। इसका उपाय उन्होंने पूछा। तब उनको इसका उपाय बताया कि राजा सगर अगर अपने पुत्रों की मोक्ष प्राप्ति चाहते हैं तो उनको गंगा नदी को धरती पर लाना होगा। राजा सागर ने इसके लिए बहुत कड़ी तपस्या की लेकिन इसमें वह सफल नहीं हो पाए।

राजा सगर के पौत्र भागीरथ का जन्म हुआ। उन्होंने ब्रह्मा जी की कठिन आराधना की भगवान से उन्होंने वर मांगा कि गंगा नदी को धरती पर अवतरण करे। ब्रह्मा जी ने बताया कि पृथ्वी में गंगा नदी का भार सहने की क्षमता नहीं है और गंगा नदी भगवान शिव की जटाओं से निकलकर कमंडल में आई है तो तुमको भगवान शिव की आराधना करनी होगी। भागीरथ ने भगवान शिव की आराधना करके गंगा नदी को धरती पर प्रकट किया और राजा सगर के साठ हजार पुत्रों को मोक्ष प्राप्ति करवाई। यहीं से गंगा नदी का एक नाम भागीरथी नदी भी जाना गया।

गंगा दशहरे का महत्व

गंगा दशहरे के पर्व को गंगा जी के जन्म के उपलक्ष में मनाया जाता है। गंगा दशहरे के दिन दान पुण्य का बड़ा महत्व है। लोग गंगा नदी के किनारे जाकर स्नान करते हैं और पूजा-पाठ धार्मिक कार्य करते हैं। मुख्य रूप से यह त्योहार हरिद्वार, ऋषिकेश, वाराणसी, प्रयागराज आदि मे बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। गंगा दशहरे पर हजारों की नहीं बल्कि लाखों की संख्या में लोग स्नान करने जाते हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे कुंभ के मेले का आयोजन किया गया है।