रोहिणी व्रत 2023 कब है? इसकी उद्यापन विधि, पूजा का महत्व जानिए।

हमारे देश में अलग-अलग रीति रिवाज, व्रत त्यौहार को मानने वाले लोग रहते हैं। यहां पर अलग-अलग जाति अलग-अलग धर्म के लोग निवास करते हैं। और सभी जाति धर्म की अलग-अलग तरह की मान्यताएं रही है। सभी अपने धर्म का पालन करते हुए अपने व्रत पूजा अनुष्ठान सभी कार्य करते हैं।
इसी तरह से जैन धर्म में भी कई तरह के व्रत और उपवास किए जाते हैं। और उन सभी का अलग ही महत्व है। जैन धर्म में रोहिणी व्रत का अलग ही विधान होता है। रोहिणी व्रत जैन धर्म के अनुयाई करते हैं। जैन धर्म के लोग भगवान की पूजा पाठ करते हैं। और जैन धर्म की महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और स्वास्थ्य की कामना के लिए रोहिणी व्रत करती है। आज हम आपको 2023 में रोहिणी व्रत कब पड़ने वाला है रोहिणी व्रत की उद्यापन विधि पूजा विधि के बारे में जानकारी देंगे। इसके अलावा रोहिणी व्रत का क्या विधान है और 2023 में रोहिणी व्रत कब कब पड़ने वाले हैं इन सभी का वर्णन यहां पढ़ने को मिलेगा।
रोहिणी व्रत क्या है?
जैसा कि आप सभी लोग जानते हैं कि हमारे कुल 27 नक्षत्र होते हैं। उन्हीं में से रोहिणी नक्षत्र भी एक प्रकार का नक्षत्र है। रोहिणी नक्षत्र सूर्योदय के बाद में बहुत प्रबल होता है। उसी दिन रोहिणी व्रत शुभारंभ होता है। यह रोहिणी व्रत 27 दिन के बाद एक बार आता है। जैन धर्म के लोग पूरे साल में 12 - 13 बार रोहिणी व्रत का पालन करते है।
शास्त्रों और नियमों के अनुसार रोहिणी व्रत 3 साल, 5 साल और 7 साल नियम के साथ में किया जाता है। अगर किसी महिला या पुरुष ने इस व्रत का नियम ले लिया तो उसका उद्यापन करना भी बहुत जरूरी है रोहिणी व्रत करने वालों की यह मान्यता भी है कि इस व्रत को करने से घर की सभी समस्याओं से छुटकारा मिल जाता है इसके अलावा व्यक्ति के जीवन में सुख शांति भी आ जाती है और उसकी समस्त दुख तकलीफ भगवान दूर कर देते हैं इसीलिए रोहिणी व्रत का बड़ा महत्व है।
रोहिणी व्रत 2023
रोहिणी व्रत को जैन धर्म के लोगों के द्वारा किया जाता है। जैन धर्म के प्रवर्तक भगवान महावीर जैन धर्म के अनुसार मनुष्य जाति का सबसे बड़ा धर्म "अहिंसा परमो धर्म:" में होता है। अर्थात किसी भी तरह की अहिंसा ना करें। महावीर स्वामी एक सन्यासी व्यक्ति थे।
उन्होंने हमेशा अध्यात्म भक्ति और हमेशा कठोर साधना के रूप में अपने जीवन को देखा है। महावीर स्वामी का मानना था कि आदमी खुद अपने सांसारिक भौतिक सुखों के सामने पराधीन होता है। अगर आदमी खुद अपनी भावनाओं और इंद्रियों पर नियंत्रण रखेगा। तभी वह एक सच्चा तपस्वी कहलाएगा।
जैन धर्म में रोहिणी व्रत का बड़ा विधान है और यह महिलाओं के द्वारा किया जाता है। रोहिणी व्रत को महिला अपने पति की दीर्घायु के लिए करती है। रोहिणी व्रत 5 महीने या 5 साल के लिए करना शुभ माना जाता है।
रोहिणी व्रत 2023
दिनांक | महीना | दिन | व्रत |
4 | जनवरी | बुधवार | रोहिणी व्रत |
31 | जनवरी | मंगलवार | रोहिणी व्रत |
27 | फरवरी | सोमवार | रोहिणी व्रत |
27 | मार्च | सोमवार | रोहिणी व्रत |
23 | अप्रैल | रविवार | रोहिणी व्रत |
21 | मई | रविवार | रोहिणी व्रत |
17 | जून | शनिवार | रोहिणी व्रत |
14 | जुलाई | शुक्रवार | रोहिणी व्रत |
10 | अगस्त | गुरुवार | रोहिणी व्रत |
07 | सितंबर | गुरुवार | रोहिणी व्रत |
4 | अक्टूबर | बुधवार | रोहिणी व्रत |
31 | अक्टूबर | मंगलवार | रोहिणी व्रत |
28 | नवंबर | मंगलवार | रोहिणी व्रत |
25 | दिसंबर | सोमवार | रोहिणी व्रत |
रोहिणी व्रत की पूजा विधि
रोहिणी व्रत करने के लिए महिलाओं को सुबह जल्दी उठकर स्नानादि करके पूजा पाठ करना होता है। रोहिणी व्रत में भगवान वसुपूज्य की पूजा का विशेष महत्व है। वासुपूज्य देव की पूजा आराधना करने के लिए उनको नवेद अर्पित किया जाता है। रोहिणी व्रत का रोहिणी व्रत का पालन रोहिणी नक्षत्र से शुरू होकर मार्कशीर्ष नक्षत्र तक किया जाता है। रोहिणी व्रत करने के बाद में दान पुण्य करने का बड़ा महत्व है। अगर आप गरीबों को दान पुण्य करते हैं तब जाकर यह व्रत सफल होता है।
उद्यापन विधि
रोहिणी व्रत एक निश्चित समय अवधि तक किया जाता है। जैन धर्म की जो भी महिला इस व्रत का नियम धारण करती है। वह इस व्रत को पूरा होने के बाद में इसका उद्यापन करना पड़ता है। इस व्रत को शुरू करने के लिए आप 5 माह की अवधि से लेकर 5 साल तक की अवधि तक इस व्रत को कर सकती है। इस व्रत के उद्यापन करने के लिए नियमित रूप से गरीबों को भोजन करवाया जाता है। उनको दान दिया जाता है। और इस व्रत में वासुपूज्य भगवान की पूजा होती है।
इसी प्रकार से हमारे शास्त्र पुराणों में भी रोहिणी व्रत का बड़ा महत्व बताया गया है। रोहिणी एक नक्षत्र है और हमारे हिंदू धर्म और जैन धर्म में नक्षत्रों की मान्यता लगभग एक समान ही होती है। रोहिणी व्रत का नियम व पालन करने से घर में धन-धान्य सुख-समृद्धि बनी रहती है।